Full Bhajan and Aarti Sangrah in Hindi with PDF Book for offline reading. Aarti is usually done at the end of the Pooja in Hindu religion. पूजन में अज्ञानतावश आदि कोई कमी रह जाये, तो आरती से उसकी पूर्ति होती है। There are many types of Aarti dedicated to various Gods, we have selected very few of them which are easy to read and learn.
Table of Contents
Ganesh Ji ki Aarti in Hindi | Ganpati Aarti in Hindi
गणेश जी को माँ पार्वती जी का दुलहरा कहा जाता है, समस्त भक्तजन इनकी दुःख हरता के नाम से आरती करते है। ऐसा माना जाता है की गणेश जी की आरती गाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

Ganesh Aarti in Hindi Full
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी॥
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
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Jai Shiv Omkara Aarti in Hindi
शिव को देवों के देव कहते है, इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, रूद्र, नीलकंठ, महेश के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से है और उनको पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है।

Aarti Sangrah in Hindi
🕉 जय शिव ओंकारा, 🕉 भज शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पजञज्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
🕉 श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
🕉 जय शिव ओंकारा॥
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Vishnu Bhagwan Ki Aarti in Hindi
भगवान विष्णु तो जगत के पालनहार हैं। वे सभी के दुख दूर कर उनको श्रेष्ठ जीवन का वरदान देते हैं। पुराणों में भगवान विष्णु के दो रूप बताए गए हैं। एक रूप में तो उन्हें बहुत शांत, प्रसन्न और कोमल बताया गया है, और दूसरे रूप में प्रभु को बहुत भयानक बताया गया है।

Vishnu Ji Ki Aarti – Om Jai Jagdish Hare Aarti in Hindi
ॐ जय जगदीश हरे. स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का।
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे।
करुणा हस्त बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे. स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
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Hanuman Ji Ki Aarti in Hindi
हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। भगवान श्री राम के परम भक्त माने जाने वाले हनुमान जी का स्मरण करने से सभी डर दूर हो जाते है।

Hanuman Aarti – आरती कीजै हनुमान लला की
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की
जाके बल से गिरिवर काँपे
रोग दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदायी
संतन के प्रभु सदा सहायी
आरती कीजै हनुमान लला की।
दे बीड़ा रघुनाथ पठाये
लंका जाय सिया सुधि लाये।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई
जात पवनसुत बार न लाई
आरती कीजै हनुमान लला की।
लंका जारि असुर संघारे
सिया रामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे
आन संजीवन प्राण उबारे
आरती कीजै हनुमान लला की।
पैठि पाताल तोड़ि यम कारे
अहिरावन की भुजा उखारे।
बाँये भुजा असुरदल मारे
दाहिने भुजा संत जन तारे
आरती कीजै हनुमान लला की।
सुर नर मुनि जन आरति उतारे
जय जय जय हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई
आरती करति अंजना माई
आरती कीजै हनुमान लला की।
जो हनुमान जी की आरति गावे
बसि वैकुण्ठ परम पद पावे।
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
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Laxmi Ji Ki Aarti in Hindi
माँ लक्ष्मी धन और समृद्धि की साक्षात् देवी मानी जाती है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ आसान मंत्र इस प्रकार है।

Maa Laxmi Aarti
ॐ लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निस दिन सेवत,
मैयाजी को निस दिन सेवत
हर विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा रमा ब्रह्माणी,
तुम ही जग माता
ओ मैया तुम ही जग माता।
सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत।
नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रूप निरन्जनि, सुख सम्पति दाता
ओ मैया सुख सम्पति दाता।
जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
ओ मैया तुम ही शुभ दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता
ओ मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
ओ मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुम से आता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
ओ मैया क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता
ओ मैया जो कोई जन गाता।
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
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Om Jai Ambe Gauri Aarti in Hindi

Jai Ambe Gauri Ji Ki Aarti
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निस दिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवजी .
ॐ जय अम्बे गौरी॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको
ॐ जय अम्बे गौरी॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै
ॐ जय अम्बे गौरी॥
केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी
ॐ जय अम्बे गौरी॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
सम राजत ज्योती
ॐ जय अम्बे गौरी॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती
ॐ जय अम्बे गौरी॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भयहीन करे
ॐ जय अम्बे गौरी॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी
ॐ जय अम्बे गौरी॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,
नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू
ॐ जय अम्बे गौरी॥
तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता।
सुख संपति करता
ॐ जय अम्बे गौरी॥
भुजा चार अति शोभित,
खडग खप्पर धारी।
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी
ॐ जय अम्बे गौरी॥
कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती
ॐ जय अम्बे गौरी॥
श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे
ॐ जय अम्बे गौरी॥
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Krishna Ji Ki Aarti in Hindi

Aarti Kunj Bihari Ki
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
गले में वैजन्ती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े वनमाली,
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरेंसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच
चरन छवि श्रीबनवारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद
टेर सुन दीन भिखारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
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Sai Baba Aarti in Hindi

Aarti Shri Guruvar Ki
आरती श्री साई गुरुवर की,
परमानंद सदा गुरुवर की॥
जाकी कृपा विपुल सुखकारी,
दु:ख शोक संकट भयहारी॥
शिरडी में अवतार रचाया,
चमत्कार से तत्व दिखाया॥
कितने भक्त शरण में आये,
वे सुख शंति निरंतर पाये॥
भाव धरे जो मन में जैसा,
साई का अनुभव वैसा॥
गुरु की उदी लगावे तन को,
समाधान लाभत उस तन को॥
साई नाम सदा जो गावें,
सो फल जग में शाश्वत पावें॥
गुरुवासर करि पूजा सेवा,
उस पर कृपा करत गुरु देवा॥
राम कृष्ण हनुमान रुप में,
दे दर्शन जानत जो मन में॥
विविध धर्म के सेवक आतें,
दर्शन कर इच्छित फल पातें॥
जै बोलो साई बाबा की,
जै बोलो अवधूत गुरु की॥
साई की आरती जो कोई गावे,
घर में बसि सुख मंगल पावे॥
आरती श्री साई गुरुवर की,
परमानंद सदा गुरुवर की॥