Easy Hindi Grammar for Class 8 : हिन्दी व्याकरण (Hindi Vyakaran)

Learn Hindi Grammar with PDF book worksheets for Class 8. It is based on CBSE / NCERT syllabus which includes various topic such as Muhavare, avyay, Sandhi Vyakaran, Alankar, Nipaat in Hindi etc. from beginner to advanced level.

Please read Hindi Grammar for Class 5, Class 6, Class 7, Class 8, Class 9, Class 10 for Complete Hindi Grammar Content(पूरा हिंदी व्याकरण).

अव्यय की परिभाषा (Avyay in Hindi)

शब्दों को अव्यय कहा जाता है जिनके रूप लिंग वचन, पुरूष, काल आदि के कारण परिवर्तित नहीं होते है। इसे अविकारी शब्द भी कहते है, क्योंकि इसमें किसी प्रकार का विकार नहीं हो सकता, वे हमेशा समान रहते है।

अव्यय के भेद (Avyay ke bhed)

  • क्रिया विशेषण
  • संबंधबोधक अव्यय
  • समुच्चय बोधक अव्यय
  • विस्मयादि बोधक अव्यय

1.क्रिया विशेषण (Kriya visheshan)

शब्द जो क्रिया की विशेषता बतलाता है, उसे क्रिया विशेषण कहते है। जैसे – तृषा बहुत धीरे चलती है। इस वाक्य में ‘बहुत’ क्रिया विशेषण है और यह दूसरे क्रिया विशेषण ‘धीरे’ की विशेषता बतलाता है।

क्रिया विशेषण के चार भेद होते है (Kriya visheshan ke bhed)

कालवाचक क्रिया विशेषण- कुछ शब्दों से क्रिया में समय सम्बन्धी विशेषता तैयार होती है उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते (kal vachak kriya visheshan) है। जैसे – पहले, बाद, जब, ओग, पीछे, अब, तब आदि।

स्थानवाचक क्रिया विशेषण- कुछ शब्दों से क्रिया में स्थान के सम्बन्धी विशेषता तैयार होती है उसे स्थानवाचक क्रिया विशेषण (Sthan vachak kriya visheshan) कहते है। जैसे – बाहर, भीतर, यहाँ, बीच, वहा, ऊपर, आगे, पीछे, नीचे आदि।

रीतिवाचक क्रिया विशेषण-  कुछ शब्दों से क्रिया में रीति के सम्बन्धी विशेषता तैयार होती है उसे रीतिवाचक क्रिया विशेषण (Riti vachak kriya visheshan) कहते है। जैसे- रतन धीरे धीरे चलता है। बारिश अचानक आने लगी।

परिमाणवाचक क्रिया विशेषण- कुछ शब्दों से क्रिया का परिमाण के सम्बन्धी  विशेषता तैयार होती है उसे परिमाणवाचक क्रिया विशेषण (Pariman vachak kriya visheshan) कहते है। जैसे – कितना, काफी, लगभग आदि।

2. संबंधबोधक अव्यय (Sambandh bodhak avyay)

जिन अव्यय शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम का वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ सम्बन्ध होता है, सम्बन्ध बोधक कहते है। जैसे – मैं कार्यालय से दूर पहुँच चुका था। इस वाक्य में ‘दूर’ शब्द ‘कार्यालय’ और ‘मैं’ के बीच संबंध तैयार करता है।

3. समुच्चयबोधक अव्यय (Samuchaya bodhak avyay)

दो शब्दों या वाक्यों को मिलाने वाले अव्यय को समुच्चबोधक अव्यय कहते है। जैसे – नेहा और प्रीती खेलने के लिए जायेंगे। इस वाक्य में नेहा और प्रीती को जायेंगे क्रिया से जोड़ता है।

समुच्चयबोधक अव्यय के भेद Samuchaya bodhak avyay ke bhed

समानाधिकरण समुच्चयबोधक- अव्यय दो या दो से ज्यादा शब्दों या वाक्यों को जोड़ता है उसे समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते है। उदाहरण- मैंने किताबें पढ़ी हैं लेकिन वे अधूरी हैं।                  मेरे पास पेन और पेंसिल है।

व्यधिकरण समुच्चयबोधक- अव्यय वाक्य से एक या एक से ज्यादा वाक्यों को जोड़ता है उसे व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते है। उदहारण – रोहन विद्यालय नहीं गया क्याकि उसे घूमने जाना था।                वह नई किताबे लेकर आया ताकि उसे परीक्षा में अच्छे मार्क्स मिले।

4. विस्मयादिबोधकअव्यय (visyadibodhak ayay)

जो अव्यय शब्द विस्मय, शोक, हर्ष आदि का भाव व्यक्त करते हैं, उसे विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं। जैसे – अहा!, हाय-हाय!, अरे, वाह!, अच्छा!, आदि उदाहरण – अरे! उधर मत जाओ                हाय! बेचारा घायल हो गया                 वाह ! क्या मौसम है

निपात Nipat Shabd Hindi Grammar

इसका प्रयोग अव्ययों के लिए होता है। इसका कोई लिंग, वचन नहीं होता है। निपातों का प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द-समूह या पूरे वाक्य को अन्य भावार्थ प्रदान करने के लिए होता है।

निपात के प्रकार Nipat ke bhed

स्वीकार्य निपात- जैसे : हाँ, जी, जी हाँ।

नकरार्थक निपात- जैसे : नहीं, जी नहीं।

निषेधात्मक निपात- जैसे : मत।

पश्रबोधक- जैसे : क्या ? न।

विस्मयादिबोधक निपात- जैसे : क्या, काश, काश कि।

बलदायक या सीमाबोधक निपात- जैसे : तो, ही, तक, पर सिर्फ, केवल।

तुलनबोधक निपात- जैसे : सा।

अवधारणबोधक निपात- जैसे : ठीक, लगभग, करीब, तकरीबन।

आदरबोधक निपात- जैसे : जी।

संधि Sandhi (seam) Hindi Grammar

जब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि आपस में मिलकर जो परिवर्तन होता हैं उसे संधि कहते हैं। जैसे – हिम + आलय = हिमालय          सूर्य + उदय  = सूर्योदय

सन्धि के प्रकार Sandhi ke prakar (bhed)

  • स्वर संधि (swar sandhi)
  • व्यंजन संधि (vyanjan sandhi)
  • विसर्ग संधि (visarga sandhi)

1. स्वर संधि Swar Sandhi Paribhasha

जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है तब जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं। जैसे – हरी + ईश = हरीश

स्वर संधि के पांच भेद हैं swar sandhi ke bhed

  • दीर्घ संधि
  • गुण संधि
  • वृद्धि संधि
  • यण संधि
  • अयादि संधि

दीर्घ संधि– अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ वर्णों के बीच होने वाली संधि को दीर्घ संधि कहते है। जैसे – पुस्तक + आलय = पुस्तकालय          मही + इंद्र = महिंद्र

गुण संधि– जब अ, आ के साथ उ, ऊ  हो तो ‘ ओ “बनता है  या जब अ, आ के साथ इ, ई  हो तो ‘ए’ बनता है उसे गुण संधि कहते है। जैसे – आ + ई = ए    रमा + ईश = रमेश उदहारण – ज्ञान + उपदेश – ज्ञानोपदेश                   महा+ उत्सव= महोत्सव                   देव+ ऋषि= देवर्षि

वृद्धि संधि– जब अ, आ के साथ  ए, ऐ  हो तो दोनों मिलकर ऐ बन जाता है और जब अ, आ  के साथ  ओ, औ हो तो  औ  बन जाता है। उसे वृद्धि संधि कहते हैं। जैसे – आ + ए = ऐ  सदा + एव = सदैव उदाहरण –  महा+ औषध= महौषधि                    महा + ओज = महौज

यण संधि – जब उ , ऊ  के साथ कोई अन्य स्वर हो तो “ व्‌ “ बन जाता है, वैसे इ, ई के साथ  य्, व्, र्, ल् में बदल जाता है उसे यण संधि कहते है। जैसे – लृ + आ= ल्  लृ+ आकृति= लाकृति उदाहरण – अभी + आगत = अभ्यागत                    इति + आदि = इत्यादि

अयादि संधि– जब  ए, ऐ, ओ, औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ए का अय, ऐ का आय और औ का आव् हो जाता है। उसे अयादि संधि कहते है। जैसे – ऐ + अ=आय्  नै+ अक= नायक उदाहरण – पो + इत्र = पवित्र                   नौ + इक = नाविक

2. व्यंजन संधि vyanjan sandhi Paribhasha

जब व्यंजन को व्यंजन या स्वर के साथ मिलाने से जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं। उदाहरण- उत + उल्लास = उल्लास

‘स्’ या ‘त’ वर्ग , ‘श्’ या ‘च’ वर्ग में बदलने के तरीके मनस् + चलति (स् + च् = श्‍च्) = मनश्‍चलति उत् + चारणम् (त् + च् = च्‍च्) = उच्‍चा रणम्

‘स्’ या ‘त’ वर्ग , ‘ष्’ या ‘ट’ वर्ग में बदलने के तरीके हरिस् + टीकते (स् + ट = ष्ट ) = हरिष्‍टी कते यत् + टीका (त् + ट् = ट्ट) = यट्टीका

ष्, श्, स्, ह् में ष् के स्‍थान पर ‘ड्’ में बदलने के तरीके जगत् + ईश:  त् + स्वर = द् = जगदीश:

क, च, ट, त, तथा प वर्ग के दूसरे  तीसरे और चौथे वर्ण के बाद श्, ष्, स् आए तो पहले आने वाला वर्ण अपने ही वर्ग का प्रथ म वर्ण हो जाता है। लभ् + स् यते (भ् + स् = प्‍स् ) = लप् स्‍यते

‘म्’ के स्‍थान पर ‘म्’ का अनुस्‍वार ( ं) में बदलने के तरीके। अहम् + गच्‍छामि = अहं गच्‍छामि

अनुस्‍वार  से पञ्चम वर्ण में बदलने के तरीके। कुं + ठित: (. + ठ = ण् ठ) = कुण्‍ठित:

‘न्’ के बाद ‘ल्’ के आने पर ‘लँ’ में बदलने के तरीके। उत् + लिखितम् (त् + ल् = ल्‍ल् ) = उल्लिखितम् उत् + लेख: (त् + ल् = ल्‍ल् ) = उल्‍लेख :

श् के स्‍थान पर ‘छ् ‘ में बदलने के तरीके। एतत् + शोभनम् (त् + श् = च्‍छ्) = एतच्‍छोभनम्

स्वर के बाद ‘छ्’ आए तो ‘छ्’ के पूर्व ‘च्’ का आगम होता है। अनु + छेद: (उ + छ् = उ + च् + छ्) = अनुच्‍छेद:

‘र्’ के बाद ‘र्’ हो तो पहले ‘र्’ का लोप  हो जाता है। नीर् + रस: र् + र् = ई + र् = नीरस:

‘न्’ को ‘ण’ में बदलने के तरीके। नरा + नाम् = नराणाम्

3. विसर्ग संधि Visarg sandhi Paribhasha

विसर्ग (:) के बाद जब स्वर या व्यंजन आ जाये तब जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं। जैसे – मन: + हर = मनोहर

विसर्ग (:) के आगे  ‘इ’ या ‘उ’ हो तथा बाद में क्, ख् या प्, फ् में से कोई वर्ण हो तो  ‘ष्’ हो जाता है। जैसे – नि: + फल: = ( : + फ = ष्फ ) निष्फल: नि: + कपट: = ( : + क = ष्क ) निष्कपट:

विसर्ग (:) के बाद पहला, दूसरा वर्ण और श्, ष्, स् हो तो विसर्ग (:) का ‘स्’ हो जाता है। जैसे – नम: + ते = ( : + ते = स्‍ते ) नमस्‍ते नि: + चल: = (: + च = श्‍च ) निश्‍चल:

विसर्ग (:) के ‘र’ आता है। तो विसर्ग के पहले जो स्वर होते है वह दीर्घ स्वर होते है। जैसे – नि: + रस = नीरस           नि: + रोग = नीरोग

अलंकार Alankar in Hindi Grammar

काव्य की सुंदरता बढ़ाने के लिए अलंकार का प्रयोग करते है। अलंकार का शाब्दिक अर्थ है आभूषण।

अलंकार के दो मुख्या प्रकार Alankar ke bhed

  • शब्दालंकार Shabdalankar
  • अर्थालंकार Athalankar

शब्दालंकार Shabdalankar – शब्दों के माध्यम से काव्य की सुंदरता होती है उसे ‘शब्दालंकार‘ कहते है।

शब्दालंकार के भेद- Shabdalankar ke bhed अनुप्रास अलंकार – जब वर्णो की आवृत्ति बार-बार होती है वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। उदाहरण – रघुपति राघव राजा राम आदि। यमक अलंकार – जहा एक ही शब्द की आवृत्ति दो व दो से अधिक बार हो तथा उनके अर्थ भी अलग अलग हो वो  यमक अलंकार होता है। श्लेष अलंकार – जहा एक शब्द एक ही बार आता है किन्तु उस के अर्थ अलग अलग आते है उसे श्लेष अलंकार कहते है।

अर्थालंकार Athalankar – जहाँ काव्य में अर्थगत चमत्कार होता है, वहाँ ‘अर्थालंकार’ माना जाता है।

अर्थालंकार के भेद– Athalankar ke bhed

उपमा अलंकार – जहा एक वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति में की जाये। रूपक अलंकार – जहा किसी दो वस्तु या व्यक्ति में समानता हो कर भी अंतर करना मुश्किल हो। उत्प्रेक्षा अलंकार – जहा समानता के कारन उपमेय में संभावना या कल्पना की जाये। मानवीकरण अलंकार – किसी निर्जीव वस्तु को सजीव बनाकर प्रस्तुत किये जाये।

मुहावरे Muhavare in Hindi

भाषा को सहज, सुंदर और प्रभावशाली बनाने के लिए हम मुहावरों (Muhavare) का प्रयोग करते हैं। मुहावरों को कहावतें और लोकोक्तियाँ भी कहते हैं इनका इस्तेमाल भाषा में व्यंग के रूप में किया जाता है।

कुछ मुहावरे और उनके अर्थ Muhavare ka arth

हिन्दी मुहावरे अर्थ वाक्य में प्रयोग
आँख उठाकर न देखना ध्यान न देना मैं उसके पास खेलने के लिए गया पर उसे मुझे आँख उठाकर भी नहीं देखा।
उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना थोड़ा सा लेकर पूरा लेने की इच्छा करना शुभम से सावधान रहना ही अच्छा है, वह उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़नेवाला आदमी है।
उल्टी गंगा बहाना असंभव काम इसको पढ़ना उल्टी गंगा बहाने के सामान है।
कमर कसना तैयार होना यिद तुम युद्ध में विजय चाहते हो तो मरने के लिए कमर कस लो
खाक में मिलना बर्बाद हो जाना भगवान की बुराई करोगे तो खाक में मिल जाओगे
गोलमाल करना गड़बड़ करना प्रबंधक बैंक में बहुत दिनों से कुछ गोलमाल कर रहे थे आज वे पकड़ में आ गए।
चकमा देना ठगना संजय से सावधान रहना, वह तुम्हे भी चकमा दे सकता है
छू मंतर होना भाग जाना अध्यापक को देखते ही सारे बच्चे छू मंतर हो गए
ढिंढोरा पीटना सबको सुनाना उसने हमारी बात सुन ली है , अब पुरे गांव में ढिंढोरा पिटेगा।
बोलती बंद करना बोलने न देना सबके सामने पोल खोलकर स्वाति ने उसकी बोलती बंद कर दी।
मुँह में पानी भर आना किसी चीज को पाने के लिए लालच होना आइस क्रीम देखकर उसके मुँह में पानी भर आया
वचन देना वादा करना मैंने चिंटू को वचन दिया है की उसको साइकिल दूंगा।
हँसी उड़ाना उपहास करना किसी की गरीबी पर हँसी उड़ाना अच्छी बात नहीं।

Hindi Grammar for Class 8

हिंदी व्याकरण कक्षा 8 के लिए बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions for Hindi Grammar for class 8)

1. ‘धीरे चलो’ में अव्यय का कौन सा प्रकार है?  A विस्मयादिबोधक       B संबंधबोधक       C क्रिया विशेषण

2. अव्यय के कितने भेद हैं? A चार      B पांच        C तीन

3. हमें चार बजे तक पहुंचना चाहिए। अव्यय पहचानो – A समुच्चय बोधक   B संबंधबोधक   C क्रिया विशेषण

4. किस वाक्‍य में निपात का प्रयोग नहीं हुआ है? A- सिमा तो बीमार है।   B मैं कल रत्नागिरी गया था।

5. शुभम बहुत ‘तेज’दौडता है। A – रीतिवाचक      B – स्‍थानवाचक      C – परिमाणवाचक

6. संधि कितने प्रकार के होते हैं?  A- 4     B – 3      C – 2

7. इनमें कौन स्वर संधि का उदाहरण है?  A- नमस्कार     B- सदैव   C- मनोहर

8. आशीर्वाद का सही संधि-विच्छेद है – A- आशीः + वाद      B- आशीर + वाद      C- इनमें से कोई नहीं

9. किसमें व्यंजन संधि है?  A- महाशय    B- सत्कार

10. ‘पर्यावरण’ का संधि-विच्छेद    A- परि + आवरण        B- परिध + आवरण 

11. अर्थालंकार के कितने भेद है?  A – 3   B- 4     C-2

12. कौन-सा शब्दालंकार नहीं है?  A- उपमा     B- श्लेष

13. ‘घी के दिये जलाना’मुहावरा का सही अर्थ- A- दीपावली मनाना      B- बर्बाद हो जाना     C- खुशी मनाना

14. अँगारे बरसना’मुहावरा का सही अर्थ- A- अत्यधिक गर्मी पड़ना     B- इनकार करना   C- लज्जित होना

15. ‘कान खड़े होना’मुहावरा का सही अर्थ- A- नष्ट करना   B- सचेत होना  

Answers for Multiple choice questions for class 8 grammar

1.C 2.A 3.B 4.B 5.A 6.B 7.B 8.A 9.B 10.A 11.B 12.A 13.C 14.A 15.B

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