Real life incidents of Mahatma Gandhi Life Story in Hindi from his Childhood to Death. Mahatma Gandhi History Story will inspire you how India got its Independence from British rule. MG was one of the thousands of freedom fighters because of them today India is free from British.
- Biography of Mahatma Gandhi in Hindi
- Mahatma Gandhi Childhood Story in Hindi
- महात्मा गांधी की जीवनी
- Mahatma Gandhi Married Life Story
- Mahatma Gandhi London Education
- Mahatma Gandhi Life Story in Hindi
- Mahatma Gandhi South Africa Train Incident in Hindi
- Mahatma Gandhi in South Africa
- Mahatma Gandhi Returned to India Story in Hindi
- Mahatma Gandhi Freedom Fighter Story
- महात्मा गांधी निबंध
- Salt Satyagraha – Dandi March in Hindi Story
- भारत छोड़ो आंदोलन Quit India Movement in Hindi
- Mahatma Gandhi Independence Movement Story in Hindi
- Mahatma Gandhi Death – Mahatma Gandhi Life Story
Biography of Mahatma Gandhi in Hindi
हम में से कई लोग इन्हें Mahatma Gandhi कहकर पुकारते हैं, कई इन्हें बापू बुलाते हैं तथा कई लोग राष्ट्रपिता के रूप में इन्हें जानते हैं।
Mahatma Gandhi Biography in Hindi | Details |
---|---|
नाम | मोहनदास करमचंद गांधी |
जन्म | 2 अक्तुंबर 1869 पोरबंदर (गुजरात) |
पिता का नाम | करमचंद |
माता का नाम | पूतलीबाई |
पत्नी | कस्तूरबा |
Mahatma Gandhi Biography in Hindi
Best Akbar and Birbal Short Stories in Hindi
Mahatma Gandhi Childhood Story in Hindi
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) यानि मोहनदास करमचंद गांधी, यही उनका पूरा नाम है, महात्मा गांधी का जन्म २ अक्टूबर १८६९ को गुजरात में स्थित काठियावाड़ के पोरबंदर नाम के गाँव में हुआ था। उसे समय भारत में अंग्रेजों की गुलामी का काला अंधकारमय समय था।
उन्हें लोग मोहन के नाम से बुलाते थे। वह छह बच्चों में सबसे छोटे थे। संयुक्त परिवार में उनके चाचा, चाची और चचेरे भाई भी उनके साथ ही रहते थे। मोहन के पिता शहर के दीवान थे। दीवान वो अधिकारी होता है, जो लोगों के बीच की समस्याओं को सुलझाता है। बिलकुल कल एक जज जैसे।
महात्मा गांधी की जीवनी
मोहन ने अपनी मां से हिंदू धर्म के बारे में जाना। माँ, उसे एक हिंदू मंदिर में ले जाती थीं। वहां मोहन ने माँ को गरीबों और बीमारों की देखभाल करते हुए देखा। मां धार्मिक पर्वों पर उपवास करती थीं। उपवास वाले दिन वो कुछ भी नहीं खाती थीं। इस पद्धति का उपयोग बाद में गांधी ने अपने जीवन में राजनैतिक कार्य के दौरान किया।
मोहन स्कूल में शर्मीला था, लेकिन वो घर में बहुत शैतानी करता था। वो अपनी बहनों को छेड़ता था और तमाम परेशानियां पैदा करता था। गांधी के पिता का रियासत से कुछ विवाद होने पर घर की आर्थिक स्थिति भी खराब हो रही थी इसलिए उनकी पढ़ाई भी पोरबंदर के सामान्य स्कूल में आम बच्चों की तरह ही हुई।
Famous Swami Vivekananda Life Story in Hindi
Mahatma Gandhi Married Life Story
Mahatma Gandhi Married Life Story in Hindi
जब मोहन केवल १३ वर्ष का था तब उसका विवाह कस्तूरबाई नामक एक युवा लड़की से हुआ। भारत में बचपन में शादी एक सामान्य बात थी। जब तक कस्तूरबाई ने स्कूल खत्म नहीं किया तब तक दोनों अपने माता-पिता के घरों में अलग-अलग रहे।
गांधी और कस्तूर की आदतों में और भी कई मामलों में मत भिन्नता थी। गांधी संकोची स्वभाव के अंतर्मुखी युवक थे और कस्तूर सजने धजने की शौकीन, सबसे निसंकोच बात करने वाली बहिर्मुखी चंचल स्वभाव की युवती। गांधी को उनका यह स्वभाव पसंद नहीं था और कस्तूर को गांधी की पढ़ाई और सादगी से रहने वाली सलाह बेतुकी लगती थी।
गांधी और कस्तूर में कुछ स्वभावगत मतभेदों के बावजूद एक दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव भी था। यह शायद उन दौनो के भारतीय संस्कारों का प्रतिफल था। गांधी कस्तूर को पढ़ाई के लिए भी संभवतः इसीलिए प्रेरित करते थे जिससे वे भी शिक्षा का लाभ उठा सकें। गांधी जी ने यह प्रयास अंतिम समय तक जारी रखा।
बहुत समय बाद कस्तूरबा जी को भी शिक्षा का महत्व समझ में आया, और उन्होंने विभिन्न आश्रमो में रहते हुए काम चलाऊ विधाध्ययन और सवाध्याय किया, जिसके पीछे गांधी की प्रेरणा ही प्रमुख कारण थी।
Inspirational and Motivational Quotes for Students in Hindi
Mahatma Gandhi London Education
Mahatma Gandhi London Education Story in Hindi
जब वे १९ वर्ष के थे, तब मोहन के परिवार ने उन्हें इंग्लैंड के एक कॉलेज में भेजने का फैसला किया। उस समय, इंग्लैंड का भारत पर शासन था। जब व्यापारी जाति के नेताओं को इसका पता चला, तो वो क्रोधित हुए क्योंकि उनकी जाति का कोई भी व्यक्ति कभी भी पढ़ाई के लिए देश से बाहर नहीं गया था।
Gandhi ji ने कुछ अंग्रेजी रीति रिवाज़ों का अनुसरण तो किया पर वहाँ के मांसाहारी खाने को नहीं अपनाया। उसने अपनी माँ से वादा किया था कि वो मांस नहीं खाएगा और उसने शाकाहारी रहने का निर्णय लिया तथा वहा स्थित शाकाहारी समाज की सदस्यता भी ली।
Mahatma Gandhi Life Story in Hindi
इंग्लैंड में उसे शाकाहारी बने रहने में काफी परेशानी हुई, क्योंकि वहां सभी लोग मांस खाते थे। पहले कुछ महीनों वो रोटी, दलिया पर जीवित रहा। अंत में, उसे एक शाकाहारी रेस्टोरेंट मिला जहाँ उसे मनपसंद भोजन खाने को मिला। मोहन जीवन भर शाकाहारी बना रहा। उसने केवल फल, सब्जियाँ और रोटी ही खाई।
इंग्लैंड में गांधी की पैदल चलने की आदत पड़ी। वो लंदन में हर जगह पैदल चलकर जाता था। इस आदत से उसने पैसे भी बचाए और वो अच्छी सेहत में भी रहा।
जैसे ही उन्हें डिग्री मिली उसके अगले दिन इंग्लैंड के हाईकोर्ट में रजिस्ट्रेशन कराकर तीसरे दिन उन्होंने बम्बई वापसी का जहाज पकड़ लिया। बम्बई पहुँचते ही उन्हें लेने आए बड़े भाई ने उन्हें माँ की मृत्यु का दुखद समाचार दिया। गांधी की पढ़ाई में बाधा न हो यही सोचकर यह खबर अब तक उनसे छिपाई गई थी।
Sandeep Maheshwari Motivational Quotes In Hindi
Mahatma Gandhi South Africa Train Incident in Hindi
sMMGMahatma Gandhi South Africa Train Incident in Hindi
गांधी को वकालत की बजाय अफ्रीका के बड़े वकील की सहायता करना अधिक आसान लगा। इस काम के लिए गांधी को फीस भी ठीक ठाक मिल रही थी। यात्रा और वहां रहने का सब खर्च उठाकर १०५ पौंड की रकम तय हुई थी। गांधी को लगा इस रकम को वे भाई को मदद के रूप मे भेज सकते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय के लिए रहना आसान नहीं था। दक्षिण अफ्रीका के कुछ हिस्सों में, भारतीयों के पास न तो जमीन थी और न ही कोई व्यवसाय। उनके लिए रात में नौ बजे के बाद टहलना भी वर्जित था।
एक दिन गांधी फर्स्ट क्लास के टिकट के साथ ट्रेन में सवार हुए। क्योंकि वो गोरे नहीं थे इसलिए उनसे फर्स्ट क्लास का डिब्बा छोड़ने को कहा गया. जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार किया तो एक पुलिसकर्मी ने गांधी को ट्रेन से फेंक दिया। अब उनके पास सोचने के लिए बहुत समय था। उन्होंने भारतीयों के प्रति इस भेदभाव का प्रतिरोध करने का फैसला किया।
Mahatma Gandhi in South Africa
गांधी का अपमान वहां के कोर्ट में भी हुआ जहाँ उन्हें पगड़ी उतारने के लिए कहा गया। गांधी इसके लिए तैयार नहीं हुए तो उन्हें कोर्ट से बाहर आना पड़ा। गांधी ने मजिस्ट्रेट द्वारा किये इस अपमान के विरोध में समाचार पत्रों में पत्र लिखे जो उन्होंने गांधी के पक्ष या विरोध में प्रकाशित भी किये। इस घटना से गाँधी को दक्षिण अफ्रीका में काफी लोग जानने लगे। इस घटना के बाद भी अफ्रीका प्रवास के दौरान गांधी ने अपनी पगड़ी नहीं छोड़ी।
Vegetables name in Hindi and English
Mahatma Gandhi Returned to India Story in Hindi
Mahatma Gandhi Returned to India Story in Hindi
इसके बाद सन १९१५ में वे सदैव के लिए स्वदेश लौट आए। जिस समय वह यहाँ पहुंचे उस समय देश में चारों तरफ अंग्रेजों द्वारा अत्याचार हो रहा था। जमींदारों की शक्ति से प्रभावित भारतीयों को बहुत कम भत्ता मिला करता था, जिससे देश में चारों तरफ गरीबी छा गयी थी। सभी गाँवों में गंदगी तथा बीमारी फैल रही थी।
गांधी चाहते थे कि अंग्रेज भारत को, भारतीय लोगों को वापस कर दें। वो चाहते थे कि भारतीय अपने देश पर खुद शासन करें। अपने शेष जीवन में उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम किया।
गांधी सबसे पहले बम्बई (अब मुंबई) आये और न्यायमूर्ति रानाडे से मिले। उन्होंने गांधी को फिरोजशाह मेहता के पास भेजा। मेहता जी के आशीर्वाद से गाँधी ने बम्बई में एक सभा में भाषण दिया जिसे सबकी सराहना और समर्थन मिला। इस सफलता से गाँधी को बहुत संतोष हुआ और उन्होंने पूना जाने का फैसला किया।
महात्मा गांधी ने एक वकील के रूप में काफी पैसे कमाए, लेकिन उन्होंने एक सरल जीवन जीने का फैसला किया। यह काम उनकी पत्नी और परिवार के लिए कठिन था। उन्होंने गरीबों की मदद करने में अपना सारा पैसा लगाया। गांधी हर जगह पैदल चल कर जाते। उनके पास जो एकमात्र कपड़े थे, वो थी सैंडल और एक धोती। उन्होंने पूरे देश की यात्रा की और लोगों की असली ज़रूरतों का पता लगाया।
Complete Letter Writing in Hindi with 50+ Examples
Mahatma Gandhi Freedom Fighter Story
गुजरात के खेड़ा गाँव की स्थिति भी अकाल तथा अंग्रेजों के दमन के कारण अत्यंत दुखदायी थी। यहीं से गांधी जी की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका प्रारम्भ हो गयी। गुजरात के खेड़ा गाँव में एक आश्रम बनाकर उन्होंने तथा उनके समर्थकों ने इस गाँव की सफाई का कार्य आरंभ किया, तथा विद्यालय और अस्पताल भी निर्मित किये गए।
खेड़ा सत्याग्रह के कारण महात्मा गाँधी को गिरफ्तार कर यह जगह छोड़ने का आदेश दिया गया, जिसके विरोध में लाखों लोगों ने प्रदर्शन किया। गांधी जी के समर्थक व् हज़ारों लोगों ने रैलियां निकालीं तथा उन्हें बिना किसी शर्त रिहा करने के लिए आवाज़ उठाई जिसके फलस्वरूप उन्हें रिहाई मिली।
महात्मा गांधी निबंध
महात्मा गाँधी अंग्रेजों को भारत से बाहर करना चाहते थे। पर उन्हें डर था कि कहीं जापानी, अंग्रेजों से बदला लेने के लिए भारत पर हमला न कर दें।
गांधी को दंगे भड़काने के लिए फिर से जेल भेज दिया गया। जब वो जेल में थे तब उन्होंने कुछ भी खाना खाने से इनकार कर दिया। माँ की सीख के अनुसार उन्होंने उपवास किया। बहुत दिनों तक उपवास करने के बाद गाँधी बहुत कमजोर हो गए। अंग्रेजों को गाँधी के मरने का डर था। इसलिए उन्होंने गाँधी को रिहा कर दिया।
Latest Real Ghost Stories In Hindi
Salt Satyagraha – Dandi March in Hindi Story
कारावास के बाद भी गांधी जी ने तरह तरह से देश में हो रही हिंसा तथा अत्याचार को रोकने में प्रयासरत रहे। उनके कारावास के दौरान दो भागों में बंट चुकी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भी उन्होंने एक करने का हर संभव प्रयास किया।
१९२८ में बापू ने कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में भारतीय साम्राज्य को सत्ता सौंपने की मांग की तथा विरोध करने पर देश को स्वतंत्रता दिलाने हेतु असहयोग आन्दोलन छेड़ने की बात कही। इसके बाद महात्मा गांधी ने १९३० में नमक पर लगे कर (टैक्स) के विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन प्रारम्भ किया, जिसमें दांडी यात्रा (Dandi March) प्रमुख रहा।
इसके बाद देश की जनता को जागरूक होते तथा जोश में देखकर सरकार ने बापू के साथ वार्तालाप किया जिसका नतीजा गांधी-इरविन की संधि के रूप में आया। इस संधि के अनुसार सविनय अवज्ञा आन्दोलन को समाप्त करने के बदले सभी राजनैतिक भारतीय कैदियों को आज़ाद किया।
Champak Stories in Hindi with PDF चंपक की कहानियाँ
भारत छोड़ो आंदोलन Quit India Movement in Hindi
Mahatma Gandhi Life Story in Hindi
द्वितीय विश्व युद्ध में उन्होंने अंग्रेजों को अहिंसात्मक रूप से समर्थन देने की बात कही जिसके पक्ष में कोई न था। बाद में महात्मा गांधी जी ने भी युद्ध में किसी भी ओर की पार्टी बनने से इनकार कर दिया तथा भारत छोड़ो आन्दोलन को और तीव्र किया गया।
इस सर्वव्यापी आन्दोलन में हिंसा तथा गिरफ्तारी भी हुई जिसके पक्ष में बापू कतई नहीं थे। बापू ने संपूर्ण भारत को अहिंसा से करो या मरो द्वारा स्वतंत्रता के लिए लड़ने को कहा। गांधी जी को फिर से गिरफ्तार किया गया। गांधी जी के लिए यह कारावास बहुत घातक रहा। इस समय वह बीमार भी हुए तथा कस्तूरबा का भी देहांत हो गया।
उनके कारावास में रहते हुए भी भारत छोड़ो आन्दोलन चलता रहा तथा सफल भी हुआ। अंग्रेजों ने भारत को सत्ता सौंपने का निर्णय लिया। परन्तु हिन्दू तथा मुस्लिमों में असंतोष को देखते हुए उन्होंने दिल्ली में आमरण अनशन किया तथा पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपए देकर अलग कर दिया गया।
Dr Babasaheb (Br) Ambedkar Short Success Story in Hindi
Mahatma Gandhi Independence Movement Story in Hindi
Mahatma Gandhi Life Story in Hindi
१९४७ में द्वितीय महायुद्ध के बाद, अंग्रेजों ने भारत को स्वतंत्रता दी। पूरे भारत ने इसका जश्न मनाया। गांधी, अपने अनुयायियों, अपने गोल चश्मे औरअपने चरखे के साथ, भारत की स्वतंत्र का प्रतीक बन गए।
लेकिन गांधी अपने घर पर ही रहे। उन्होंने किताबें पढ़ीं और प्रार्थना की। वह राजनीति से दूर रहे। उसने हमेशा कहा था कि वह १२५ वर्ष तक ज़िंदा रहना चाहता थे, लेकिन अब वो इस बात को लेकर इतने पक्के नहीं थे। वो अब ७८ साल के थे, और जीवन भर कड़ी मेहनत से थक गए थे।
जब भारत स्वतंत्र हुआ तब दो धार्मिक समूहों के बीच लड़ाई छिड़ गई. मुसलमान और हिंदू आपस में लड़ने लगे। मुसलमान अपना एक अलग देश चाहते थे। गांधी चाहते थे कि सभी लोग शांति से रहें। लेकिन उन शहरों में जहां दोनों धार्मिक समूह रहते थे वहां भयानक लड़ाईया शुरू हुईं।
लेकिन गांधी के प्रयासों के बावजूद, देश का विभाजन हुआ। हिंदू लोग भारत में ही रहे। मुस्लिमानों ने पाकिस्तान नामक एक नए देश बना लिया।
Mahatma Gandhi Death – Mahatma Gandhi Life Story
३० जनवरी १९४८ को, गांधी एक प्रार्थना सभा का नेतृत्व करने गए. उन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में उनके अनुयायी और दोस्त वहां मौजूद थे। गांधी मंच तक पहुँचने के लिए लोगों के बीच से गुज़रे।
लोगों का अभिवादन करने के लिए उन्होंने अपने दोनों हाथ जोड़े तभी एक व्यक्ति, जो गाँधी को भारत के विभाजन के लिए गांधी को दोषी मानता था, गांधी के पास आया। उसने पिस्तौल से निशाना साधा और तीन गोलियां चलाई। जैसे ही गांधी अपने दोस्तों की गोद में गिरे, उनके लबों पर भगवान का नाम था।
इस शब्द के साथ, उन्होंने अपने हत्यारे को माफ कर दिया था। लेकिन फिर भी हत्यारे को गिरफ्तार करके मौत की सजा सुना दी।