Most famous Akbar and Birbal Short Stories in Hindi. Here we present top 10 stories of Akbar Birbal. Hope that you will like these stories, make you laugh and teach moral values.
अकबर हमारे भारत देश का एक बहुत बड़ा राजा था। इस का पूरा नाम जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर पादशाह गाजी था। बहुत लम्बा नाम था न उस का? पर वह अकबर के नाम से ही मशहूर था। इस को न पढ़ना आता था न लिखना, पर यह था बहुत होशियार। इसने अपने दरबार में बहुत सारे हिन्दू विद्वानों को इकट्ठा कर रखा था।
- Akbar aur Birbal ki Kahani – सबसे शातिर खुनी
- Akbar and Birbal Story in Hindi – व्यापारी की चोरी
- Akbar aur Birbal
- Akbar Birbal ki Kahani in Hindi – सबसे मनहूस आदमी
- Akbar Birbal Short Stories in Hindi – सबसे बुद्धिमान आदमी
- Akbar Birbal ki Story
- Akbar Birbal Stories in Hindi – धोकेबाज कौन?
- Akbar ki Kahaniya
- Birbal Story in Hindi – जादुई तोता
- Very short story of Akbar and Birbal in Hindi
- Birbal ki Khichdi – ईमानदारी प्रजा
- Birbal ki Chaturai
- Akbar aur Birbal ki Kahaniya – कौन किसका सेवक
- Short Moral Stories in Hindi – दरबार में चोरी
- Akbar Birbal Cartoon Kahani in Hindi
- Akbar Birbal New Stories
Akbar aur Birbal ki Kahani – सबसे शातिर खुनी
Akbar and Birbal Short Stories in Hindi
अकबर दरबार में आकर अभी बैठे ही थे कि तभी दरबार में एक हत्या का मामला आ गया। बादशाह ने हुक्म दिया, “यह हत्या का मामला है। इसमें जल्दबाजी करना ठीक नहीं होगा। इस मामले की सुनवाई अगले दिन होगी।”
अपराधी को मौका मिल गया। वह दूसरे दिन हि दरबार लगने से पहले ही बीरबल के घर पर पहुंच गया और बीरबल के आगे गिड़गिड़ाने लगा, “हजूर, आप बुद्धिमानों के बुद्धिमान हैं। मैं बड़ी आशा लेकर आपकी शरण में आया हूं। मेरी फांसी की सजा उम्र केद में तब्दील हो जाएगी तो मैं आपका उपकार जीवन भर नहीं भूलूंगा। हुजूर, मेरी आपसे प्रार्थना है कि मेरी तरफ से आप ही बहस करें।” बीरबल ने जवाब में कुछ नहीं कहा।
मामला दरबार में पेश हुआ। बादशाह अकबर ने अपराधी को उम्र कैद की सजा सुनाई। अपराधी हैरान भी हुआ और खुश भी हुआ। वह धीरे-धीरे चलकर बीरबल के नजदीक आया और बोला, “हुजूर, लाख-लाख शुक्रिया, आपने मेरी फांसी की सजा उम्र कैद में करवा दी, मैं आपका आभारी हूं।
यह सुनकर बीरबल बोला, “हां, मुझे इस मामले में मुझे बड़ी दिक्कत उठानी पड़ी। बादशाह तो तुम्हें निर्दोष समझकर छोड़ने जा रहे थे। मेरे बार-बार समझाने पर उन्होंने तुम्हें उम्र कैद की सजा दी। क्योंकि केवल मुझे पता है कि तुमने अपराध किया है और तुमने मेरे घर पर अपना अपराध कबूल भी किया था।”
अपराधी यह सुनकर हताश रह गया। वह माथा पीटकर रह गया कि बीरबल के सामने उसने अपना अपराध आखिर कबूल क्यों किया।
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Akbar and Birbal Story in Hindi – व्यापारी की चोरी
Akbar and Birbal Short Stories in Hindi
एक बार शहर में एक कसाई रहता था। बेहतरीन मांस बेचने के कारण वह शहर में प्रसिद्ध था। शहर में हर किसी को उसकी दुकान के बारे में पता था। त्यौहार के समय में उसकी दुकान में लोगो की भीड़ लगी रहती थी और वह कसाई पूरे दिन उनकी सेवा में व्यस्त रहता था।
ऐसे ही एक दिन एक व्यापारी व्यापारी कसाई की दुकान में आया। उस समय कसाई अपने पैसे गिनने में व्यस्त था। व्यापारी ने उसे एक किलो मांस पैक करने को कहा। कसाई ने अपने पैसे का थैला काउंटर पर रखा और मांस लेने के लिए भंडार घर में चला गया।
परन्तु जब वह वापस आया तो यह देखकर हैरान रह गया कि पैसो का थैला अब वहां नहीं था। कसाई ने बहुत गुस्से में कहा, “श्रीमन माफ करना, मुझे लगता हैं आपने मेरा थैला चुराया हैं। मैं उसे मांस लाने से पहले इधर छोड़कर गया था।” व्यापारी बोला, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे चोर कहने की। यह मेरे पैसो का थैला हैँ और मैं यह अपने दुकान से साथ लाया था।”
Akbar aur Birbal
कसाई और व्यापारी की लड़ाई अब बढ़ गयी और बहुत से लोग उनके चारों ओर ईकठा हो गये। आखिकर किसी ने उन्हें बीरबल के पास जाने को कहा। व्यापारी और कसाई बीरबल के पास गये।
बीरबल ने ध्यान से पैसे के थैला को निचे रखा। फिर उसने व्यापारी से कहा, “क्या तुम खून का व्यापार करते हो?” व्यापारी हताश रहा उसने कहा, “नहीं श्रीमान मैं तो तेल का व्यापार करता हू।” बीरबल मुस्कुराया और उसने थैला कसाई के हाथों में रख दिया। बीएबल ने कहा, “थैले पर खून के धब्बे हैं। कुछ सिक्को पर भी खून के धब्बे लगे हुए हैं। अगर यह थैला आपका है तो इसको खून के धब्बे कैसे लग लगे।”
व्यापारी के पास कोई जवाब नहीं था और उसकी चोरी के लिए उसको दंडित किया गया। कसाई ने बीरबल को धन्यवाद किया और ख़ुशी से अपने दुकान पर चला गया।
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Akbar Birbal ki Kahani in Hindi – सबसे मनहूस आदमी
Akbar and Birbal Short Stories in Hindi
बहुत समय पहले, बादशाह अकबर के शहर में रत्नाकर नाम का एक युवक रहता था। उसका कोई दोस्त नहीं था, क्योंकि सभी उससे नफरत करते थे। सभी लोग उसे बदनसीब कहते थे और उसका मनाक उड़ाकर उस पर पत्थर फेंकते थे।
जब यह खबर बादशाह एकबाबर के पास पहुंच गयी तो उसने रत्नाकर को दरबार में बुलाया और उससे बात करने लगा। लेकिन उसी वक्त एक दूत ने दरबार में आकार अकबर को सूचित किया कि उनके परिवार का एक सदस्य बीमार है।
अकबर तुरंत दरबार छोड़कर अपने परिवार के पास चला गया। डॉक्टरों को दिखाने के कुछ समय बाद उनके परिवार के सदस्या को काफी अच्छा लगने लगा। शाम को अकबर दरबार में लौट आये तब उसने देखा की रत्नाकर अभी भी उनका इंतनार कर रहा था।
रत्नाकर को देखते ही अकबर को गुस्सा आ गया, और उसने कहा, “तो सारी अफवाहें सच हैं तुम वास्तव में ही मनहूस हो। तुमने मेरे परिवार के सदस्य को बीमार कर दिया है।” उसने रत्नाकर को जेल में डालने का आदेश दिया।
सब जानते थे की बादशाह का निर्णय बहुत ही अनुचित था, लेकिन दरबार में किसी का भी उसके विरोध में कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं थी।
अचानक बीरबल रत्नाकर के पास गया और उसने कानों में कुछ कहने लगा। रत्नाकर बादशाह के सामने झुककर बोला, “जापनाह, मैं कैदखाने में जाने को तैयार हूँ, पर आप मेरे एक सबाल का जवाब दीजिये, यदि मेरे चेहरे को देखकर यहाँ कोई बीमार पड़ गया है, तो मेरा चेहरा आपने भी देखा हैं, तो आप बीमार क्यों नहीं हुए।”
यह सुनकर अकबर को अपनी गलती का एहसास हो गया। उसने हस्ते हुए रत्नाकर को जाने दिया और सोने के मोहरे भी भेट में दे दिया।
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Akbar Birbal Short Stories in Hindi – सबसे बुद्धिमान आदमी
एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, दरबार में एक ऐसे आदमी को ढूंढ कर ले आओ, जो बहुत ही बुद्धिमान हो।” बीरबल कुछ देर शांत रहे, फिर बोले, “जहांपनाह, में जल्दी ही ऐसा आदमी ढूंढ़कर दरबार में ले आऊंगा। लेकिन इसके लिए समय और धन की आवश्यकता पड़ेगी।”
बादशाह अकबर बोले, “बीरबल, हम तुम्हें सोने की ५०० मोहरें और दस दिन का समय देते हैं।” धन और दस दिन का अवकाश लेकर बीरबल अपने घर चले गए। सारा धन उन्होंने दीन-दुखियों में बांट दिया। दसवे दिन बीरबल ने एक धोबी को पकड़ा और उसे स्नान करवाकर अच्छे कपड़े पहनाए, तथा सोने की २०० मोहरें उसे देकर दरबार में ले आए।
रास्ते में ही धोबी को बता दिया कि उसे बादशाह अकबर के सामने कैसा व्यवहार करना है। बादशाह अकबर के दरबार में पधारते ही बीरबल ने कहा, “जहांपनाह, में बुद्धिमानों का बुद्धिमान व्यक्ति ढूंढ़कर लाया हूं।”
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बादशाह अकबर ने धोबी को देखते हुए पूछा, “तुम्हारे नाम क्या है? क्या काम करता है तू? माता-पिता तुम्हें क्या कहकर बुलाते हैं? तुम कहां के
रहने वाले हो?” एक साथ इतने सवाल बादशाह अकबर ने कर दिए। लेकिन धोबी ने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया, क्योंकि बीरबल ने उसे पहले से ही चुप रहने के लिए कहा था।
बादशाह ने शिकायत भरे लहजे में बीरबल से कहा, “बीरबल, यह कहीं गूंगा और बहरा तो नहीं है? इसने तो हमारे किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। भला यह बुद्धिमानों का बुद्धिमान कैसे हो सकता है?”
बीरबल ने हस्ते हुए कहा, “’हजूर, यह इसकी बुद्धिमानी है। इसने अपने बड़े-बूढ़ों से सीख रखा है कि, राजा और स्वयं से अधिक समझदार व्यक्ति के सामने चुप रहने में ही भलाई है। यह उनसे मिले ज्ञान का अनुसरण कर रहा है।”
बादशाह अकबर बीरबल के इस तर्क के आगे अब क्या बोलते। वे मुस्कराकर ही रह गए और धोबी को इनाम देकर सम्मान के साथ दरबार से विदा किया।
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Akbar Birbal Stories in Hindi – धोकेबाज कौन?
एक बार बादशाह अकबर के शहर में एक व्यक्ति रहता था उसका नाम था युसूफ। वह लोगों को बेबकूफ बनाकर पैसे कमाता था। एक बार वह बाजार में एक बहुत अमीर व्यापारी ये मिला, जो बाहरी देश से आया हुआ था। वह इस शहर में नया था, इसलिए जब युसूफ ने उसे अपने घर रात के भोनन के लिए आमंत्रित किया, तो व्यापारी ने इस उम्मीद से आमंत्रण स्वीकार कर लिया कि इस नये शहर में उसके नये दोस्त बन जायेंगे।
उस रात उन होंने बहुत अच्छा खाना खाया और बहुत देर तक बातें की। अगली सुबह युसूफ ने व्यापारी से कहा, “आपने मेरा हीरा चोरी कर लिया हैं।
मैं उसे वापस चाहता हूँ।” व्यापारी ने कहा; “भाई मै नहीं जनता कि तुम किस हीरे की बात कर रहे हो। मुझे बिल्कुल पता नहीं है।”
उन दोनों में लड़ाई शुरू हो गई। आखिरकार दोनों ने अदालत जानेका फैसला किया। बादशाह अकबर दोनों को कहानी सुनकर हैरान रह गए। उन्होंने बीरबल को यह मामला सुलझाने को कहा।
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युसूफ ने कहा, “महाशय मेरे पास गवाहा हैं, जिसने व्यापारी को हिरा चोरी करते हुए देखा हें।” बीरबल ने कहा, “अपने गवाहों को बुलाये। मेँ इमैं उनसे कुछ पूछना चाहता हूँ।”
बीरबल ने दोनों को अलग-अलग कमरे में जाकर हिरे का चित्र निकलने को बोला। जैसा कि वे इस बारे में स्पष्ट नहीं थे कि हीरा कैसे दिखता है, दोनों ने दो अलग चित्र बनाये।
जब बीरबल ने देखा दोनों गवाहों ने क्या-क्या बनाया है तो वह बोला, “जहापनाह, इन दोनों में से किसी ने हिरा नहीं देखा है। तो कैसे इन दोनों ने व्यापारी को हिरा चोरी करते हुए देखा है? यह कहानी झूठी हैं। व्यापारी निद्रोष हैं। यह साबित होता हैं कि धोखेबान युसूफ ने इन दोनों को झूठे गवाह बनने के लिए रिश्वत दी हैं।” व्यापारी ख़ुशी से अपने घर चला गया और धोकेबाज़ युसूफ को जेल भेज दिया गया।
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Birbal Story in Hindi – जादुई तोता
Akbar and Birbal Short Stories in Hindi
एक आदमी था वह तोते को पकड़ता,उन को सिखाता-पढ़ाता और जो उस को खरीदना चाहते है उन लोगों को बेच देता यही उसका व्यवसाय था।
एक बार उस ने एक बहुत ही सुन्दर तोता पकड़ा। उस ने उस को बात करना सिखाया और फिर बादशाह अकबर को भेंट कर दिया। बादशाह को वह खूबसूरत तोता बहुत ही पसंद आया। वह अक्सर उस से बात करते।
बादशाह ने उस की सुरक्षा के लिये खास इन्तजाम कर रखा था और महल में सब को कह रखा था कि अगर कोई उस के मरने की खबर बादशाह को देगा तो वह उस को फॉसी पर लटका देंगे। जब लोगों ने यह सुना तो वह उस तोते की और भी ज्यादा अच्छी तरह से देखभाल करने लगे।
फिर अचानक एक दिन ऐसा हुआ कि वह तोता मर गया। अब कौन बादशाह के पास जाये और उन को बताये, क्योंकि जो कोई भी जायेगा उस को फॉसी की सजा पक्की थी। पर किसी न किसी को तो यह खबर वादशाह को देनी ही थी।
एक नौकर तुरन्त ही बीरबल के पास गया और सब हाल बताया और अनुरोध की वह उन सव की जान बचा लें। नौकर रोते हुए बीरबल से कहने लगा, “अगर में बादशाह से जा कर यह कहता हूँ कि आप का प्यारा तोता मर गया तो बादशाह मुझे फॉसी पर चढ़ा देंगे। और अगर मैं यह बात उन को नहीं बताता हूँ तो भी वह मुझे फॉसी पर चढ़ा देंगे। मेरी जान बचाए साहब।”
Very short story of Akbar and Birbal in Hindi
बीरबल ने कुछ पल सोचा और उस नौकर से कहा को वह खुद बादशाह के पास चला जायेगा। जब दरबार लग गया तब बीरबल बादशाह के पास पहुँच कर उन्हों ने सिर झुकाया और बोला, “हुजूर आप का तोता…।” बादशाह बोले, “तोता क्या?” बीरबल ने हकलाते हुए कहा, “हुजूर आप का तोता…।”
बादशाह वोले, “बीरबल क्या हुआ मेरे तोते को? मैं तुम से पूछ रहा हूँ बीरबल, क्या हुआ है मेरे तोते को?” बीरबल ने कहा, “जहॉपनाह आप का तोता न तो कुछ खाता है, न पीता है। न ही अपने पंख हिलाता है और न ही अपनी आँखें खोलता है।” बादशाह बीरबल की बात सुनकर चिल्लाये,“क्या? क्या मेरा तोता मर गया?”
बीरबल ने बोला, “हुजूर यह में ने नहीं कहा। यह तो आप ही ने कहा।” बादशाह समझ गये कि बीरबल ने यह सब इस तरीके से क्यों कहा। वह बीरबल के तोते के मरने की खबर इस तरीके से देने पर बहुत हेँसे।
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Birbal ki Khichdi – ईमानदारी प्रजा
Akbar and Birbal Short Stories in Hindi
एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल के सामने बात रखी, “बीरबल! हम यह जानना चाहते हैं कि हमारे राज्य में प्रजा कितनी ईमानदार है और हमें कितना प्यार करती है?”
बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया, “हुजूर! आपके राज्य में कोई भी पूरी तरह ईमानदार नहीं है। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रजा आपको कितना प्यार करती है।”
बादशाह अकबर बोले, “आप इस बारे में इतना निश्चित कैसे हो सकते हैं?” बीरबल ने कहा “मैं अपनी बात आपको साबित कर सकता हूं, जहांपनाह!” “ठीक है, तुम हमें साबित करके दिखाओ।”
तब बीरबल ने नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि बादशाह एक खास भोज करने जा रहे हैं। इसके लिए सारी प्रजा से अनुरोध है कि कल दिन निकलने से पहले हर आदमी को एक-एक लोटा दूध बाजार में रखे बड़े बर्तन में डालना है।
Birbal ki Chaturai
ढिंढोरा सुनकर हर आदमी ने यही सोचा कि जहां इतना दूध इकट्ठा होगा, वहां उसके द्वारा एक लोटे पानी का क्या पता चलेगा? आखिर में ज्यादा तर लोगों ने बर्तन में पानी डाला।
सुबह जब बादशाह अकबर ने उस बर्तन में देखा तो वे दंग रह गए। उस बर्तन में ज्यादातर केवल पानी ही पानी था। इस घटना के बाद बादशाह अकबर को यह मानना पड़ा कि बीरबल प्रजा की नब्ज को अच्छे से पहचानते हैं।
बादशाह अकबर और बीरबल शाही बाग में बैठे विभिन्न फलों पर बात कर रहे थे। बादशाह अकबर सीताफल की प्रशंसा कर रहे थे और बीरबल भी उनकी हां-में-हां मिलाते जा रहे थे तथा बीच-बीच में सीताफल खाने के फायदे भी गिनाते जा रहे थे।
इसके दो महीने बाद अकबर ने एक दिन सोचा कि देखें बीरबल की सीताफल के बारे में अब क्या राय है। अकबर ने बीरबल को दरबार में बुलाया। बादशाह अकबर ने उन्हें सादर बैठाया और सीताफल की बुराई करने लगे। बीरबल भी अकबर की हां-में-हां मिलाने लगे।
बादशाह बीरबल के मुंह से सीताफल की बुराई सुनकर हैरान रह गए और कहने लगे, “बीरबल, तुम्हारी इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता। हमने उस दिन सीताफल की प्रशंसा की तो तुमने भी प्रशंसा की और आज हमने सीताफल की बुराई की तो तुमने भी बुराई करनी शुरू कर दी। आखिर तुम्हारी अपनी कोई व्यक्तिगत राय सीताफल के बारे में क्यों नहीं है?
बीरबल बोला, “जहांपनाह, मैं आपका सेवक हूं, सीताफल का नहीं।” यह सुनकर बादशाह अकबर की आंखें खुशी के मारे भर आईं। उन्होंने बीरबल को गले से लगा लिया।
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Akbar aur Birbal ki Kahaniya – कौन किसका सेवक
Akbar and Birbal Short Stories in Hindi
बादशाह अकबर और बीरबल शाही बाग में बैठे विभिन्न फलों पर बात कर रहे थे। बादशाह अकबर सीताफल की प्रशंसा कर रहे थे और बीरबल भी उनकी हां-में-हां मिलाते जा रहे थे तथा बीच-बीच में सीताफल खाने के फायदे भी गिनाते जा रहे थे।
इसके दो महीने बाद अकबर ने एक दिन सोचा कि देखें बीरबल की सीताफल के बारे में अब क्या राय है। अकबर ने बीरबल को दरबार में बुलाया। बादशाह अकबर ने उन्हें सादर बैठाया और सीताफल की बुराई करने लगे। बीरबल भी अकबर की हां-में-हां मिलाने लगे।
बादशाह बीरबल के मुंह से सीताफल की बुराई सुनकर हैरान रह गए और कहने लगे, “बीरबल, तुम्हारी इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता। हमने उस दिन सीताफल की प्रशंसा की तो तुमने भी प्रशंसा की और आज हमने सीताफल की बुराई की तो तुमने भी बुराई करनी शुरू कर दी। आखिर तुम्हारी अपनी कोई व्यक्तिगत राय सीताफल के बारे में क्यों नहीं है?
बीरबल बोला, “जहांपनाह, मैं आपका सेवक हूं, सीताफल का नहीं।” यह सुनकर बादशाह अकबर की आंखें खुशी के मारे भर आईं। उन्होंने बीरबल को गले से लगा लिया।
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Short Moral Stories in Hindi – दरबार में चोरी
एक दिन बादशाह अकबर ने अपनी बहुमूल्य अंगूठी अंगुली से निकाली और एक विश्वसनीय दरबारी को देते हुए कहा, “यह राज की बात है। किसी को बताना नहीं है और सबसे छिपाकर रखना है।”
दरबार में बीरबल आए तो बादशाह बोले, “बीरबल, क्या तुम्हें पता हैं, हमारी अंगूठी आज सुबह से ही नहीं मिल रही है। पता नहीं कब अंगुली से निकलकर गिर गई? यह काम में तुम्हारे जिम्मे लगाता हुं। अंगूठी का पता जल्द से जल्द लगाओ।” यह सुनकर बीरबल चौंक गया।
बीरबल को पता था कि बादशाह अकबर की वह अंगूठी बहुत ही मृल्यवान है और वह उसे बहुत ही सम्भाल कर रखा करते हैं। वह कहीं गुम नहीं हो सकती या चोरी नहीं हो सकती।
बीरबल ने बहुत सोचने-विचारने के बाद कहा, “हजूर, मेरी तीसरी दृष्टि साफ बताती है कि जिसके पास अंगूठी है, उसकी दाढ़ी में तिनका है।” बीरबल के इतना बोलने पर दरबारी एक दूसरे को देखने लगे। बीरबल की निगाह सबके चेहरे पर थी।
Akbar and Birbal Short Stories in Hindi
इतने में बीरबल ने देखा कि बादशाह के सिंहासन के पास बैठा एक दरबारी घबराकर अपना मुंह और दाढ़ी छुपा रहा था। बीरबल से उस दरबारी की हरकत छिपी नहीं रह सकी। बीरबल ने तुरंत ही उस दरबारी की ओर इशारा करते हुए कहा, “देखिए जहांपनाह, आपकी अंगूठी को चुराने वाला चोर आपके सिंहासन के पास ही बैठा हैे।”
अकबर बीरबल की चतुराई से बहुत ही प्रसन्न हुए।
Akbar Birbal Cartoon Kahani in Hindi
शहर में एक व्यापारी धनवान रहा करता था। उसकी हरकत से अक्सर लोगो को बड़ी तकलीफ होती थी, परन्तु वह किसी की एक न सुनता था।
एक दिन उसे एक नई शरारत सूचि। उसने एक चित्रकार को घर बुलवाकर उसे अपना चित्र बनाने की आज्ञा दी । उस से पहले दी ऐसी शर्त तय
करा ली कि अगर चित्र बनाने में बार भर भी अन्तर पड़ेगा तो उसे पैसे नहीं दिया जायेगे और अगर चित्र उसके जैसे बन गए तो चित्रकार को बहुत पैसे मिलेगा। चित्रकार बहुत अच्छा चित्र बनाने वाला था इसलिए दोनों की आपस में लिखा सौदा हो गया।
वह घर जाकर बड़ी सावधानी से चित्र बनाने लगा। जब चित्र बनकर तयार हो गया तो उसे लेकर धनवान जाने लगा। जब उसके आने का समाचार नौकरों ने धनवान को दिया तो वह अपनी सूरत बदल कर उसके सामने आया।
जब उसने धनवान व्यापारी को देखा तो वह दंग रह गया, उसके मुँह से कोई स्पष्ठ उत्तर नहीं निकल रहा था, धनवान ने अपना पूरा चेहरा बदल लिए था। चित्रकार निराश हो कर दूसरा चित्र बनाने घर चला गया। जब चित्रकार दूसरा चित्र बनाके व्यापारी के पास आया तो फिर से व्यापारी ने अपना चेहरा बदल दिया।
ऐसा करते-करते चित्रकार ने बड़ी मेहनत से धनवान व्यापारी के चार चित्र बनवा लिए, लेकिन व्यापारी हर बार अपना चेहरा बदलके उसके सामने खड़े होता था।
वह गरीब चित्रकार बहुत परेशान हो गया और उसे बड़ी हिम्मत करके उसने व्यापारी से पैसे का अनुरोध किया। लेकिन उनके लेकिथ आश्वासन के कारण व्यापारी ने उसे अपने चेहरे का चित्र न निकलने से उसे पैसे के बिना ही घर बेच दिया।
Akbar Birbal New Stories
आखिरकार चित्रकार ने बीरबल के पास जाने का फैसला किया। उसने अपनी सारी कहानी कहकर बीरबल को चारों चित्र दिखाया। बीरबरछ ने सारी बात समझकर चित्रकार से कहा “बाजार से एक अच्छा शीशा खरीद लावो और दो-तीन दिन उसे अपने पास ही रखना। तुम्हारे साथ गुप्तरूप से मेरे दो कर्मचारी साथ रहेगे। जब वह व्यापारी चित्र देखने को मांग करेगा तो वही शीशा उसके सामने रख देना, शीशा में वह अपना स्वरूप बदक न सकेगा।”
कई दिनों का अन्तर देखकर चित्रकार बाजार से एक शीशा खरीद लाया और फिर गुप्तचर्रों के साथ धनवान व्यापारी से जाकर मिला और कहा, “इस बार मैं बहुत होशियारी से आपका चित्र बना दिया हैं। आशा है कि मेरे इस कठिन परिश्रम से आप खुश होंगे।”
शीशा देखकर व्यापारी गुस्से से बोला, “यह मुझे आइना क्यों दिखा रहा है?” चित्रकार ने उत्तर दिया, “यही आपका चित्र जो अपने दिखने को कहा था।” व्यापारी आप पूरी तरह फास गया था और वह अपनी ठगी छिपाने के लिये उससे बोला, “तुम्हे मैंने अपना चित्र बनाने को कब कहा था?”
चित्रकार ने कहा “आप बात क्यों पलटते हैं, मेरे पास वो कागज़ है जिस में हम दोनों ने हस्ताक्षर किये थे” तभी उस व्यापारी ने बीरबल के गुप्तचरों को देखा और उसका पसीना छूट गया। उसने चित्रकार से सही चित्र लेने का फैसला किया।
लेकिन बीरबल के गुप्तचरों ने उसे जेल में डाल दिया और चित्रकार के पुरे ५ चित्र के पैसे, शीशे के साथ व्यापारी से चूका दिए।