Read 50+ Hindi Mein Kahaniya with Moral Values from Class 1 to 10. Short Moral Stories for Kids are important part of the Education. हिंदी कहानियाँ prepares you to be a Batter Person in life.
Short Hindi Moral Stories for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10.
- (1) खाली टिफिन Short Moral Stories in Hindi
- Moral of Short Hindi Story- बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे सोचो। विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है।
- (2) अंगूठी चोर Hindi Mein Kahaniya
- Moral of Short Hindi Story- कभी भी दूसरों को ना आंके, क्योंकि आप यह नहीं जानते कि वह जीवन में किस तरह के हालात का सामना कर रहे है।
- (3) कुत्ते की कीमत Short Story in Hindi
- Moral of Short Hindi Kahani – अशिक्षा और अज्ञानता ही लालच को जन्म देते हैं।
- (4) संत की सीख Motivational Story in Hindi
- Moral of Short Hindi Kahani – जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।
- (5) जीवन की असफलता Hindi Mein Kahaniya
(1) खाली टिफिन Short Moral Stories in Hindi
अमोल नाम का गरीब परिवार का एक बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में किसी दूसरे शहर जाने के लिए रेलगाड़ी से सफ़र कर रहा था। उसने रास्ते में खाने के लिए सिर्फ रोटीयां ही रखी थी।
ट्रेन का स्टेशन पर देरी से पहुंचने वाली थी। स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। २ घंटे इंतजार करने के बाद अमोल को भूख लगी। वह स्टेशन से खाना खरीदना चाहता था लेकिन उसके पास पैसे कम थे।
लेकिन फिर उसने अपने टिफिन से रोटी खाने का फैसला किया। उसके खाने का तरीका कुछ अजीब था, वह रोटी का एक टुकड़ा लेता और उसे टिफिन के अन्दर कुछ ऐसे डालता मानो रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा हो, जबकि उसके पास तो सिर्फ रोटीयां थीं।
उसकी इस हरकत को आस पास के और दूसरे यात्री देख कर हैरान रह गए। अमोल हर बार रोटी का एक टुकड़ा लेता और झूठमूठ का टिफिन में डालता और खाता। स्टेशन पर लोग अमोल की मूर्खता के लिए उसे देखते ही जा रहे थे। उसे देखकर हर कोई सोच रहा था कि वह पागल है।
आखिरकार एक यात्री से रहा नहीं गया और उसने उससे पूछ ही लिया, “भैया तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, तुम्हारे पास तो सिर्फ रोटियां है। फिर तुम रोटी के टुकड़े को हर बार खाली टिफिन में डालकर ऐसे क्यों खा रहे हो?”
तब अमोल ने जवाब दिया, “भैया, यह ढक्कन तो खाली है, लेकिन मै अपने मन में यह सोच कर खा रहा हू की इसमें बहुत सारा आचार है, मै आचार के साथ रोटी खा रहा हू।”
फिर उस यात्री ने अमोल से पूछा, “खाली ढक्कन में आचार सोच कर सूखी रोटी को खा रहे हो तो क्या तुम्हे आचार का स्वाद आ रहा है क्या?” “हाँ, बिलकुल आ रहा है, मै रोटी के साथ अचार सोचकर खा रहा हूँ और मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा है।”, अमोल ने जवाब दिया।
तब उस यात्री ने अमोल से कहा “जब सोचना ही था तो तुम आचार की जगह पर मलाई कोफ्ता, बटर चिकन सोचते, तुम्हारे कहने के मुताबिक तुमने आचार सोचा है तो तुम्हे आचार का स्वाद आया है और स्वादिष्ट चीजों के बारे में सोचते तो उनका भी स्वाद आता। सोचना ही था तो भला छोटा क्यों सोचे तुम्हे तो बड़ा सोचना चाहिए था।”
यह सुनकर आसपास के यात्री हंसने लगे।
Moral of Short Hindi Story- बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे सोचो। विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है।
(2) अंगूठी चोर Hindi Mein Kahaniya
Hindi Mein Kahaniya
अनिकेत नाम का एक आदमी था। उसके शहर भर में कई व्यवसाय थे। शहर भर में उसके कई दोस्त थे। उनमें से ज्यादातर अमीर थे।
एक दिन अनिकेत ने अपने घर पर एक छोटी सी पार्टी रखने का फैसला किया। उसने केवल अपने करीबी दोस्तों को बुलाया। अनिकेत ने अपने बचपन के दोस्त को भी बुलाने का फैसला किया, जो उसके अमीर दोस्तों में से केवल एक ही गरीब था।
योजना के अनुसार अनिकेत के सभी दोस्त पार्टी के लिए उसके घर आते हैं। वे खाते, पीते और आनंद लेते हैं। थोड़ी देर के बाद अनिकेत को ख्याल आता है की उसने एक ऊँगली में कीमती अंगुठी पहनी हुई थी, थोड़ी ढीली होने के कारन वह वह कही गिर गई है।
उसके सभी मित्र अंगुठी खोजने में मदद करते है। लेकिन वह नहीं मिलती। उसमे से अनिकेत का एक मित्र कहता है “आप हम सभी की तलाशी ले सकते है। एक आदमी की वजह से हम सभी हमेशा के लिए आपकी नजर में शक के दायरे में रहेंगे।”
सभी मित्र तलाशी के लिए तैयार हो जाते है। लेकिन अनिकेत का गरीब मित्र तलाशी देने से मना कर देता है। सभी आमिर मित्र उसका अपमान करते है। अनिकेत किसी की तलाशी ना लेकर सभी को विदा करता है।
दूसरे दिन अनिकेत को वह अंगुठी सोफे के निचे पड़ी मिलती है, और वह सीधा अपने गरीब मित्र के पास आता है। अनिकेत अपने मित्रो द्वारा किये गए अपमान की माफ़ी मांगता है और उसे तलाशी न देने की वजह पूछता है।
वह गरीब मित्र पलंग पर सोये अपने बीमार पुत्र की ओर इशारा करके कहता है “मैं जब आपके यहाँ आ रहा था, इसने मिठाई खाने की जिद की थी। जब मैं आपके घर पर खाना खा रहा था तो मैंने मिठाई देखी और वो मैंने अपने बेटे के लिए जेब में रखी।”
“अगर तुमने मेरी तलाशी की होती, तो तुम्हें अंगूठी के बजाय मेरी जेब में मिठाइयाँ मिल जातीं। और मैं चोरी के लिए दोषी ठहराया गया होता।” यह सुनकर अनिकेत अपने दोस्त के लिए दुखी हो गया। उसने अपने गरीब मित्र के बेटे के इलाज के लिए सारा पैसा दिया।
Moral of Short Hindi Story- कभी भी दूसरों को ना आंके, क्योंकि आप यह नहीं जानते कि वह जीवन में किस तरह के हालात का सामना कर रहे है।
(3) कुत्ते की कीमत Short Story in Hindi
Hindi Mein Kahaniya for Class 10
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक आदमी आया और उसने गाँव वालों से कहा कि वो गांव के आवारा कुत्तों को खरीदने आया है।
उसने गाँव के लोगों को समझाने की कोशिश की कि वह आवारा कुत्तों को खरीदता है, और उन्हें शहर में आश्रय घरों में रखता है। और उसके बाद शहर के अमीर लोग उन्हें खरीदते हैं।
उसने गाँव के लोगों को कहा कि अगर कोई उसे कुत्ता बेचता है तो वह उन्हें ५०० रुपये प्रति कुत्ता देने के लिए तैयार हैं। लोग खुश थे क्योंकि उन्हें आसान तरीके से पैसे मिल रहे थे, और गाँव में भी कई आवारा कुत्ते थे।
उस आदमी ने ५०० रूपये की कीमत से लगभग १५० कुत्ते खरीद लिए थे। अब गांव में कुत्तों की संख्या काफी घट गयी थी और धीरे-धीरे लोगों ने कुत्तों को पकड़ने का प्रयास बंद कर दिया। ऐसा होने पर उस आदमी ने फिर घोषणा की।
अब वह १५०० रुपये में एक कुत्ता खरीदने के लिए तैयार है। ऐसा सुनते ही गाँव वाले फिर से कुत्तों को पकड़ने में लग गए। अब लोग अपने पालतू कुत्ते को भी बेचने लगे थे।
बहुत जल्द कुत्तों की संख्या और भी घाट गयी। गांव के सड़क पे एक भी कुत्ता नहीं दिख रहा था। अब लोग ये काम छोड़ कर फिरसे खेती-बारी में लग गए।
तब उस आदमी ने घोषणा की कि वो एक कुत्ते के ४००० रूपये देगा। पर इस बार उसकी जगह कुत्ते खरीदने का काम उसका नौकर करेगा क्योंकि उसे किसी ज़रूरी काम से कुछ दिनों के लिए शहर जाना पड़ रहा है। पर अब गाँव में एक भी कुत्ता दिख नहीं रहा था।
उस आदमी की गैर मौजूदगी में उस नौकर ने उस गांव वालों को कहा “देखो अगर मैं तुम्हें इन कुत्तों के ३००० रुपये देता हूँ और मालिक आने के बाद तुम इन्हे ४००० रूपये से ज्यादा में बेच सकते हो।
मेरे मालिक को इन कुत्तों की सख्त जरुरत है। वह कभी भी आपके प्रस्तावों को अस्वीकार नहीं करेगा। वह उन्हें विदेश में बेच रहा है और उसे बहुत पैसे मिल रहे है। तुम लोगों को इन कुत्तों को बेचने के बाद में दूसरे गांव में जा कर चुप जाऊंगा। इस तरह हम दोनों बहुत पैसा कमाएंगे।”
गांव के लोगों ने उसके नौकर पर भरोसा किया क्यों की पहले-पहले उन लोगों ने कुत्तों को ५०० रूपये में भी बेचा था और अब उसकी किम्मत ४००० हो गयी थी। गांव के लोगों ने लालच में लगभग सभी कुत्तों को ३००० रूपये में खरीदना शुरू कर दिया।
सभी कुत्तों को बेचने के बाद, नौकर उस गाँव से भाग गया। लोग कुत्ते को बेचने के लिए उस आदमी का इंतजार करने लगे। लेकिन उसके बाद ना कभी वो आदमी दिखा ना ही उसका नौकर। अब गांवों को एहसास हो गया था कि वो दो लोगों ने उन्हें बेवकूफ बनाकर चले गए थे।
Moral of Short Hindi Kahani – अशिक्षा और अज्ञानता ही लालच को जन्म देते हैं।
(4) संत की सीख Motivational Story in Hindi
Hindi Mein Kahaniya
एक संत का अपना गुरुकुल था, जिसमें वे कई शिष्य को पढ़ाते थे। वहाँ कुछ शिष्य बचपन से ही सीख रहे थे। इसलिए उनका अपने शिक्षक के साथ बहुत करीबी रिश्ता था।
संत अब बहुत बूढ़े हो गए थे। वह जानता था कि अब उसकी मौत करीब है, तो उसने अपने सभी शिष्य को उपदेश सुनने और अंतिम प्रणाम करने एकत्रित बुलाया।
उपदेश देने से पहले संत ने सीधा अपना मुँह खोला और अपने शिष्यों से पूछा “क्या मेरे पास कोई दांत बचा है?”
उनके शिष्यों को पता था कि उनके गुरु का कोई भी दांत नहीं बचा था। इसलिए उन्होंने उसे नहीं कहा।
दूसरी बार फिर संत ने अपना मुँह खोला और पूछा “देखो, क्या मेरी जीभ बची है?”
सभी शिष्यों ने एक स्वर में उत्तर दिया “हां-है”
संत ने फिर पूछा “अच्छा एक बात बताओ। हमारी जइब जन्म से थी और मृत्यु तक रहेगी और हमारे दांत बाद में आए और जल्दी चले गए। इसका क्या कारन हो सकता है?”
सब शिष्य चुप थे। कोई भी इस सवाल का जवाब नहीं दे सका।
संत ने उन्हें समझाकर कहा “हमारी जीभ कोमल होती है, और दाँत कठोर इसलिए वे उखड़ गए।
Moral of Short Hindi Kahani – जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।
(5) जीवन की असफलता Hindi Mein Kahaniya
Motivational Kahani
श्यामनगर में एक साधु रहता था। वह सुबह-सुबह जॉगिंग के लिए जाते थे। वह व्यायाम करना बहुत पसंद करता था, क्योंकि वह स्वस्थ रहने के लाभ अच्छी तरह जानता था।
एक सुबह जॉगिंग के लिए जाते समय उसने देखा कि एक व्यक्ति पुल पर खड़ा है। वह आदमी उदास दिख रहा था। उसे देखकर साधु को रहा था की उस आदमी के साथ जरूर कुछ गलत हुआ है।
साधु उस आदमी के पास गया और पूछा “भाई तुम यहां सुबह-सुबह क्या कर रहे हो? क्षमा करें, लेकिन मैंने आपको यहां कभी नहीं देखा।”
“मेने सब कुछ खो दिया। मेरे पास पैसा नहीं हैं। अब मैं जीवन भर गरीब रहूंगा।” यह कहकर वह उदास आदमी रोने लगा। अब साधु समझ चुका था कि उस आदमी की परेशानी क्या थी। उसने पूछा “तुम्हें यकीन है कि तुमने सब कुछ खो दिया है? मुझे लगता है तुम झूठ बोल रहे हो।”
उदास आदमी ने साधु से कहा “नहीं, मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ। मेरे पास एक भी रुपया भी बचा नहीं है।”
“ठीक है फिर एक काम करो।” साधु ने कहा – “तुम्हारी दोनों आँखों में से मुझे अपनी एक आँख दे दो और मैं तुम्हें ७० हजार दूंगा।” उस आदमी ने जवाब दिया “नहीं, मैं अपनी आँखें तुम्हें नहीं दे सकता।”
तो साधु ने कहा “ठीक है तो बस मुझे अपना एक हाथ दे दो और मैं तुम्हें 90 हजार दूंगा।” उस आदमी ने फिर से साधु के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। साधु ने फिरसे कहा “भाई फिर मुझे अपना एक पैर दे दो। मैं तुम्हें 1 लाख दूंगा।” उस उदास आदमी ने फिर इनकार कर दिया।
तब साधु बोला “फिर आप कैसे कह सकते हैं कि आपके पास कुछ नहीं है? आपकी आंखें, कान, हाथ, पैर लाखों की कीमत के हैं। जब इनका मूल्य लाखो में है, तो सोचो तुम्हारे शरीर का मूल्य कितना होगा।” अब वह उदास आदमी चुप था और साधु की बाते सोच रहा था।
साधु ने कहा “देखो, तुम्हारे पास कितना भी पैसा हो, जिनके पास अच्छा स्वस्थ शरीर उससे बढ़कर धनि और कोण हो सकता है।” उस आदमी ने साधु को गले लगाया और फिर से कड़ी मेहनत करने लगा। साधु ने उस आदमी के जीवन का मार्ग हमेशा के लिए बदल दिया था।
Moral of Short Hindi Kahani- पुरानी गलतियों को भूल जाओ. असफलताओं को भूल जाओ. अभी जो करने जा रहे हो उसके अलावा हर एक चीज को भूल जाओ और उसे करो। कहते हैं बुरा वक़्त सबका आता है! पर कोई निखर जाता है तो कोई बिखर जाता है।
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